विश्व रोज़ दिवसः क्या आप जानते हैं देश में हो रही हैं कोरोना से अधिक कैंसर से मौंते...

यह बात 1994 की है। कनाडा की 12 साल की मेलिंडा अपने परिवार के साथ हंसी खुशी ज़िंदगी जी रही थी कि तभी अचानक मालूम हुआ कि मेलिंडा को ब्लड कैंसर है और डॉक्टर्स ने यहां तक कह दिया कि मेलिंडा दो हफ्ते से ज़्यादा नहीं जी सकेगी। परिवार वालों पर तो गम का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन सिर्फ 12 साल की मेलिंडा ने हार नहीं मानी। उसने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात देने की ठानी और खुद में जीने की नई उमंग पैदा की। इतना ही नहीं उसने अपने आसपास मौजूद कैंसर से पीड़ित लोगों को भी इस बीमारी से पूरे दमखम से लड़ने के लिए तैयार किया। उसने उन सब के अंदर एक सकारात्मक भाव और जीवन जीने की एक नई ललक पैदा की।
 
 
वह अपने आसपास के कैंसर पीड़ित लोगों और उनकी देखभाल करने वालों उनके परिवार के लोगों को पत्र, कविताओं और ईमेल के ज़रिए से समय-समय पर नया उत्साह भरती और उनको खास होने का एहसास दिलाती रहती थी। जिसका असर यह हुआ कि अपनी ज़िंदगी से मायूस हो चुके लोगों में जीने की नई चाह पैदा होने लगी और कैंसर के मरीज़ पूरे आत्मविश्वास के साथ कैंसर को हराने की जंग लड़ने लगे। मेलिंडा की ज़िंदगी दूसरों के प्रति उनकी मानवीय संवेदनाओं,जीवन के प्रति उसका लगाव व उत्साह कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया। जिसका असर यह हुआ कि मेलिंडा केवल दो हफ्ते नहीं बल्कि छह महीने ज़िंदा रही और इन छह महीनों में उसने लाखों लोगों में नई उमंग और जज़्बा पैदा कर दिया। 22 सिंतबर को वह ज़िंदगी की जंग हार गई लेकिन अपने हौसले और साहस के दम पर आज भी लाखों लोगों के दिलों में ज़िंदा है। 
 
 
मेलिंडा की याद में हर साल 22 सिंतबर को विश्व रोज़ दिवस मनाया जाता है। यह दिन समर्पित है कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को।तथा उनके जीवन को एक नई उम्मीद,नई आशा से भरने के लिए और उनके अंदर इस गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए एक मजबूत जज्बे को पैदा करने के लिए। ताकि वो अपने जीवन के प्रति सकारात्मक भाव अपना सकें।
 
 
इस दिन सरकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक किया जाता है तथा उन्हें इस बीमारी की सही जानकारी दी जाती हैं। विश्व रोज़ दिवस के दिन कई बड़े अस्पतालों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा द्वारा जगह-जगह पर शिविरों का आयोजन कर मुफ्त में कैंसर की जांच की जाती है। लोगों को यह बताया जाता है कि वह मजबूत इच्छाशक्ति और सकारात्मक भावना से ही इस बीमारी को मात दे सकते हैं। 
 
 
एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया भर में करीब 96 लाख लोगों की मौत कैंसर से होती है। इनमें से 70 प्रतिशत मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। भारत में हर साल एक लाख से अधिक नए कैंसर के मामले सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में हर दस में से एक आदमी कैंसर से पीड़ित है। कैंसर से पीडित लोगों की अनुमानित संख्या 25 लाख के करीब है तथा प्रतिवर्ष नए कैंसर मरीज़ मिलने वालों की संख्या 7 लाख से अधिक है। 
 
 
राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक कोरोना संक्रमण के मरीज़ों से ज्यादा देश में कैसर के मरीज़ों की संख्या है। इतना ही नहीं कोविड 19 संक्रमण की मृत्यु दर की तुलना में कैंसर से मरने वालों की दर अधिक है। आठ जून से 20 अगस्त के बीच में कोविड-19 से संक्रमित 186 कैंसर मरीज़ों पर एक शोध किया गया जिसके बाद दिल्ली स्थित एक कैंसर हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने पाया कि, ‘हमारे अध्ययन में इस तथ्य का उजागर होता है कि कैंसर के मरीज़ों में कोविड की दर सबसे अधिक है और इससे भी खराब बात तो यह है किसी आम कोविड-19 के मरीज़ों से इनकी मृत्युदर 7.6 गुना अधिक है।
 
 
 
कैंसर से बचाव के उपाय
 
 
कैंसर की गंभीर बीमारी से बचाव के लिए सबसे अधिक ज़रुरी चीज़ जो है वह यह कि इस बीमारी के प्रति जागरुकता। इसके साथ ही कैंसर डाइट को लेकर जागरुकता होना भी ज़रुरी है। एंटी कैंसर डाइट का मतलब होता है ऐसे आहार जो कैंसर के रिस्क को कम कर सकते हैं। इन एंटी कैंसर फूड्स के लिए आपको कहीं बाहर जाने की ज़रुरत नहीं क्योंकि ये आपकी रसोई में ही मौजूद हैं। यूं तो, कैंसर-रोधी आहार की जांच अभी भी शोधकर्ताओं के बीच जारी है, लेकिन आपकी रसोई में मौजूद ये एंटी कैंसर फूड्स आपको कैंसर की चपेट में आने से बचा सकते हैं। तो आइये जानते हैं उन चीज़ों के बारे में जिन्हें आप अपनी डाइट का हिस्सा बनाकर कैंसर को खुद से दूर रख सकते हैं।
 
 
फलिया और दाल हैं बहुत सहायक:
 
दालों और फलियों में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा ये शरीर को फाइबर और फोलेट भी प्रदान करती हैं, जिससे पैंक्रियाज़ कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। फलियां बड़ी आंत के लिए भी बहुत प्रभावी है। इसमें प्रतिरोधी स्टार्च पाया जाता है, जो बड़ी आंत की कोशिकाओं के लिए अच्छा साबित होता है।
 
 
लहसुन और प्याज हैं बेजोड़:
 
लहसुन और प्याज में सल्फर कंपाउंड पाया जाता है। लहसुन का इस्तेमाल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में किया जाता है। लेकिन ये कैंसर को रोकने में भी मददगार है। बता दें कि यह इंसुलिन उत्पादन को कम करने के काम आता है, जिससे शरीर में ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी नहीं पनपती है।
 
असरदार अदरक:
 
अदरक का उपयोग हर घर में होता है और यही वो अगली चीज़ है जो कैंसर से लड़ने में कारगर साबित होती है। बता दें कि अदरक में कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने वाले कुछ खास गुण पाए जाते हैं। अदरक का रस न केवल कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से होने वाली परेशानी को दूर करता है बल्कि ये ट्यूमर की कोशिकाओं को रोकने में भी सहायक है।
 
 
हरी चाय का सेवन:
 
ग्रीन टी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है इसलिए इसे एंटी कैंसर डाइट के रूप में भी देखा जाता है। ग्रीन टी,  लीवर, ब्रेस्ट, अग्नाशय (Pancreatic), फेफड़े,  इसोफेजियल और त्वचा के कैंसर को रोकने में सहायक होती है। इसके अलावा ग्रीन टी की मदद से आप फिट और फैट युक्त भी रह सकते हैं।
 
टमाटर है ज़रूरी:
 
टमाटर खाने के बहुत फायदे हैं लेकिन इसका मुख्य फायदा यह है कि ये कैंसर से लड़ने में बेहद सहायक है। बता दें कि, टमाटर में एंटीऑक्सीडेंट लाइकोपीन मौजूद होता है, जो बीटा-कैरोटीन, अल्फा-कैरोटीन और विटामिन ई से ज़्यादा प्रभावशाली है क्योंकि ये प्रोस्टेट और फेफड़ों के कैंसर को 18 फीसदी तक दूर रखने में मदद करता है।
 
फल और सब्जियों से होगा फायदा:
 
फल और सब्जियों में भरपूर मात्रा में विटामिन और पोषक तत्व होते हैं। इससे कुछ कैंसर्स के रिस्क को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए प्रोसेस्ड या शुगर युक्त खाद्य पदार्थों को खाने की बजाय स्नैक्स में फल और सब्जियों का सेवन करें। जो लोग मेडिटेरेनियन डाइट यानि भूमध्यसागरीय शैली का आहार लेना पसंद करते हैं वे रेड मीट की बजाय मछली पर जैतून का तेल लगाकर उसका सेवन कर सकते हैं, इससे उन्हें कैंसर से लड़ने में मदद मिलेगी।