प्रसार भारती ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से नाता तोड़ लिया है। इसके साथ ही प्रसार भारती घरेलू समाचार एजेंसियों से नए प्रस्ताव मांगने जा रहा है।
क्या है प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया-
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) भारत की एक प्रमुख समाचार संस्था है। यह भारत का सबसे बड़ा अभिकरण है। सन 1949 में भारत के प्रमुख समाचार पत्रों ने मिलकर एसोसिएशन प्रेस ऑफ़ इंडिया को खरीद लिया था, क्योंकि विदेशी शासन काल से काम कर रही ए.पी.आई न्यूज़ एजेंसी ब्रिटिश समाचार रायटर की भारतीय शाखा मात्र थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विदेशी एजेंसी समाप्त हो ही जानी थी। भारतीय समाचार पत्र भी इसे विदेशी पत्र के प्रभाव से मुक्त करना चाहते थे। यह समाचार एजेंसी एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी है। देश भर में इसके १२० कार्यालय काम कर रहे है। पी टी आई की हिंदी समाचार सेवा भी चलती है जिसे “भाषा“ कहते हैं। इस समाचार एजेंसी की फीचर सर्विस भी बड़ी लोकप्रिय है।
क्या है रिश्ता टूटने की वजह-
प्रसार भारती ने भारत चीन सीमा पर हुए संघर्ष पर पीटीआई की कवरेज को अनुचित पाया था। पीटीआई से रिश्ता तोड़ने का फैसला इस घटना के चार महीने बाद आया है। जून के महीने में प्रसार भारती ने पीटीआई की कवरेज को राष्ट्र विरोधी बताते हुए उससे संबंध तोड़ने की धमकी दी थी। प्रसार भारती पीटीआई की सबसे बड़े ग्राहकों में से आती है और यह हर साल पीटीआई को 6.75 करोड़ का भुगतान करती है।
चीनी राजदूत का विवादास्पद साक्षात्कार बना विवाद की वजह-
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने जून में चीन के राजदूत सुन विडोंग का साक्षात्कार लिया। इस साक्षात्कार में विडोंग ने भारत चीन सीमा पर हुई झड़प के लिए भारत को दोषी बताया था। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे।
इसके तुरंत बाद जून के महीने में ही प्रसार भारती ने पीटीआई को एक पत्र भेज कर इस साक्षात्कार को देश विरोधी बताते हुए अपनी नाराजगी जताई थी।