माँ वो हैं जिसे हम शब्दों से बयां नहीं है..मैं शुक्रगुजार हूँ उस माँ का जिस माँ ने मुझे इस दुनिया में लेकर आने के लिए इतना कष्ट उठाया है| माँ ना होती तो हम ना होते, माँ के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते| एक माँ इस दुनिया में हर चीज का मोह त्यागकर सिर्फ और सिर्फ हमें सबसे ज्यादा प्यार करती है| वो अपने हमारे लिए हर मुसीबत से लड़ना जानती है, ऐसी माँ जो कभी घर से बाहर भी नहीं जाती है, जो किसी से फालतू मतलब भी नहीं रखती है, जो कम बोलती है, जो डरी सहमी सी रहती है, ऐसी माँ भी अपने बच्चे के ऊपर आती आंच को देखकर कुछ भी कर गुज़रने से पीछे नहीं हटती है,
"ऐसी होती है माँ..!"
"ऐसी होती है माँ..!"
आज जनमानस भड़ास उन विछिप्त मानसिकता वाले लोगों से बस इतना कहना चाहता है कि माँ एक शब्द है जिसमे पूरी दुनिया समायी हुई है| माँ लाड-प्यार से आपकी परवरिश की है| आपको अच्छे से अच्छा खिलाया-पिलाया है| खुद सालों तक फटे पुराने कपडे पहने रही है,लेकिन आपको नए-नए कपडे पहनाये है| खुद मेहनत-मजदूरी करके एक-एक रुपये जोड़कर आपके उज्जवल भविष्य के लिए,आपको अच्छी शिक्षा दिलवायी है,तभी आज आप इतने काबिल बने है| खुद भूखी रही है पर आपको खाना खिलाया है,फिर क्यों आज वही माँ आपको बोझ लग रही है, आप उसे वृद्धाश्रम में क्यों छोड़ आते है??
“ जिस माँ ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया, जिस माँ ने कदम डगमगाने पर गिरने से हमें फिर से उठाकर चलना सिखाया आज जब उस माँ को हमारे सहारे की जरुरत है तो वो माँ हम पर बोझ कैसे हो सकती है?ये मत भूलियें कि जो आज है.....वही आपका आने वाला कल है..अब फैसला आपका है ”
माँ शब्द में पूरी दुनिया का बोध होता है। माँ शब्द में वह लगाव एवं मिठास छिपी होती है, जो ओर किसी शब्द में नहीं होती। माँ नाम ही संवेदना, भावना और अहसास का है। माँ के आगे दुनिया के सभी रिश्ते बौने हो जाते हैं। माँ की छाया में न केवल वह अपने बच्चों को सहेजती है बल्कि जरूरत पड़ने पर उसका सहारा बन जाती है। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण है जिन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की पूरी जिम्मेदारी निभाई।
भगवान को कभी देखा नहीं हमनें और इसकी जरुरत भी क्या होगी,
ये माँ तेरी सूरत से अलग उस भगवान की मूरत ही क्या होगी?
कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया। माँ बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चों की हर जरुरत के लिये हर पल तैयार रहती है। माँ पहली, सर्वश्रेष्ठ और सबसे अच्छी व महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि कोई भी माँ की तरह सच्चा और वास्तविक नहीं होता। जिंदगी की पहली गुरू माँ होती हैं, बच्चे की पहली दोस्त माँ होती है।
लेकिन आज के इस भौतिकवादी समय अजीब विड़बना है, लोग अपनी माँ का ख्याल तक नहीं रखते है और यही कारण है कि आज बच्चों के होते हुए भी माँ को अकेला तन्हा छोड़ दिया जाता है। आज के समय में बच्चे अपनी माताओं को केवल अपने सुख के लिए वृद्धाश्रम में छोड़ आते है और जिन माँओ ने अपने बच्चे के लिए अपना सारा सुख छोड़ दिया आज उन्हीं के बच्चे अपनी माँ को सड़क पर असहाय छोड़कर चले जाते है और माँ को अपना जीवन अकेले ही जीना पड़ता है।