आज स्मार्टफोन ने हम सब की दुनिया बदल दी है। हम 5 मिनट भी मोबाइल को खुद से दूर नहीं करते है। मिनट-मिनट पर मोबाइल चेक करते हैं। वहीं हमारी इस हरकत से घर में मौजूद 5-6 महीने का बच्चा भी इसकी स्क्रीन में रोशनी और रंग देखकर आकर्षित होने लगता है। वह उसे छूना चाहता है और देखना चाहता है कि आखिर ये है क्या। बच्चे की ललक को देखकर हम उसे मोबाइल दे भी देते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे बच्चे को मोबाइल की आदत लग जाती है। इसके बाद ये समस्या बन जाती है| स्मार्टफ़ोन के अधिक इस्तेमाल से ये नुकसान होते है-
यादाश्त में कमी
पहले लोग एक दूसरे का फोन नंबर बड़ी आसानी से याद कर लेते थे, कोई घटजोड़ करना हो तो वह भी झट से उंगलियों पर कर लिया करते थे। यही नहीं लोगों के जन्मदिन या सालगिरह इत्यादि भी आसानी से याद रहती थीं लेकिन अब सब कुछ स्मार्टफोन करता है और बच्चों को अपना दिमाग लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
पर्याप्त नींद में कमी
बच्चों को पर्याप्त नींद लेना जरूरी है लेकिन स्मार्टफोन की लत लग जाये तो बच्चे माता-पिता से छिप कर रात को स्मार्टफोन पर गेम खेलते रहते हैं या फिर कोई मूवी आदि देखते हैं जिससे उनके सोने के समय में तो कटौती होती ही है साथ ही लगातार स्मार्टफोन से चिपके रहने से आंखों को भी नुकसान होता है।
हिंसक बन जाते हैं
कई ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं कि किसी कारण से बच्चा खुद को अकेला महसूस करता है और ऐसे किसी सोशल फोरम को ज्वॉइन कर लेता है जहां उसे अपनापन लगता है तो उसका गलत फायदा उठा लिया जाता है। ब्लू व्हेल गेम इसका सशक्त उदाहरण है जिसे खेलने वाले को खुद ही मौत को गले लगाना होता है। इसके अलावा बहुत से ऐसे गेम हैं जो कि हिंसक हैं और इसे लगातार खेलते रहने से स्वभाव हिंसक हो जाता है।
रेडिएशन का खतरा
स्मार्टफ़ोन और मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन सेहत के लिए खतरा भी साबित हो सकता है। स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल की एक निश्चित सीमा के अधिक होने से रेडिएशन फैलने लगता है, इसके रेडिएशन से शरीर में जटिल बीमारियाँ भी हो सकती है।जिनमें प्रमुख हैं सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द आदि।
बच्चों की स्मार्टफोन की लत कैसे छुड़ायें
आज अपने बच्चो के स्मार्टफ़ोन से चिपके रहने की समस्या से सभी माता-पिता चिंतित हैकि कैसे अपने बच्चों को इसकी लत से दूर रख सके। इसके लिये बदलाव खुद से ही शुरू होता है। पहले आप खुद की दिन भर स्मार्टफोन से चिपके रहने की आदत को बदलें और घर पर परिवार के साथ समय बितायें न कि फोन पर। घर पर बच्चों से उनकी पढ़ाई के बारे में बात करें और जितना समय घर पर रहें बच्चों के साथ किसी ना किसी गतिविधि में लगे रहें। इससे बच्चे धीरे-धीरे स्मार्टफोन से दूर होते जाएंगे और आपके साथ समय बिताना उन्हें अच्छा लगेगा। इसके साथ ही साथ आज जनमानस भड़ास आपको कुछ ऐसी भी टिप्स दे रहा है जिनसे आपके बच्चे को स्मार्टफ़ोन की आदत से दूर जाने में कोई परेशानी भी नहीं होगी। ये टिप्स है-
जिन बच्चों के पैरेंट्स उन्हें चार साल से कम उम्र में फोन दे देते हैं, वे ओरल टेस्ट में अधिकतर फ़ेल होते हैं। डॉक्टर्स भी मानते हैं कि कम उम्र में मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है। मोबाइल अब सिर्फ फोन या मैसेज करने तक ही सीमित नहीं रहा है। ना जाने कितने ऐप्स, व्हाट्सएप, और गेम्स हमें दिन भर इसमें व्यस्त रखते हैं, लेकिन अगर मोबाइल के बिना आपको बैचैनी होती है तो आपके लिए चिंता की बात है। इसलिए आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील कर रहा है कि वे अभिवावक के रूप में बच्चों के सामने फोन का यूज कम से कम करें और बच्चों को बिजी रखने,बहलाने और रोने के दौरान शांत कराने के लिये उसे कभी भी मोबाइल न दें, बल्कि उसे कोई दूसरा खिलौना दें, जिससे उसे नुकसान न हो। इसके साथ ही साथ बच्चे को स्मार्टफोन पर गेम खेलने की जगह पार्क में खेलने, कुछ और एक्टिविटीज करने के लिए भी प्रोत्साहित करें। जिससे बच्चे का स्मार्टफ़ोन को चलाने में इन्ट्रेस्ट कम हो जाये और दुरूपयोग भी न हो।
भड़ास अभी बाकी है...