युवाओं की छवि हमेशा से आक्रामक रही है। उन्हें उत्तेजक, फुर्तीला, बागी मिजाज माना जाता रहा है। युवा पीढ़ी हर राष्ट्र की रीढ़ है। उनका मनोबल, उनकी क्षमताएं, उनका साहस असीम है। युवाओं के इस जोशीले अंदाज का फायदा समाज को हमेशा ही आंदोलन, युद्धभूमि, देश को विकसित करने की राह पर मिला। विश्व में किसी भी युद्ध का इतिहास उठाकर देखें तो युद्ध में युवाओं के कारण ही जीत का परचम लहरा पाया है। भारत में आजादी के वक्त युवाओं ने अहम रोल निभाया था। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे अनेक युवाओं के कारण ही भारत को आजादी मिली। विश्व में कई ऐसे युवा संगठन रहे हैं जिन्होंने अपने देशों में बदलाव लाने में बड़ी भूमिका अदा की। लेकिन आज भारत में युवाओं की स्थिति असंतोषजनक है। युवाओं को जो पदास्थान राजनीतिक, शौक्षिक, सामाजिक तौर पर मिलना चाहिये, वे उससे अछूते हैं। ऐसी स्थिति विश्व के कई देशों में देखने को मिल रही है। युवाओं की इच्छाओं को दबोच दिया जाता है, उनकी प्राथमिकताओं को परे रख दिया जाता है, उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाये जा रहे हैं। इसीलिए आज कल विश्वभर के युवाओं ने आंदोलनों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इन सभी निराशाओं के चलते आज की युवा पीढ़ी असंतोष से भरती जा रही है। असंतोष का कीड़ा बचपन से ही एक बच्चे के दिल में पनपने लगा है। हार के डर से, इच्छाओं के पूरे न होने के डर से, दबाए जाने के डर से उनकी मनोस्थिति कुछ इस प्रकार की बन रही है कि वह हर कार्य को नकारात्मक रूप से देखने लगे हैं। यह असंतोष उनके जीवन में चरम सीमा पर पहुंचने को तैयार बैठा है। असंतोष नामक बिमारी चरमबद्ध होकर आज की युवा पीढ़ी को भीतर ही भीतर खाये जा रही है। इसके परिणाम केवल नकारात्मक हैं। जो हमें युवाओं में जलन, अवसाद, आपराधिक लक्षणों के तौर पर देखने को मिल रहे हैं। युवाओं में इन नकारात्मक भावनाओं का कसूरवार भी कोई और नहीं बल्कि आज के हमारे संसार की कूटनीतिक सच्चाई है। आज युवाओं में असंतोष और बेरोजगारी का कारण लचर सिक्षा व्यवस्था ही है क्योकि दिशाविहीन युवा पीढ़ी को लक्ष्य का बोध शिक्षा ही कराती है, लेकिन आज की शिक्षा व्यवस्था इस उद्देश्य की पूर्ति के मापदण्ड के घट जाने से लाचार सी हो गई है। आज शिक्षा पाकर भी युवा वर्ग बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है वह न तो अपना हित सोच पा रहा है और न राष्ट्र का। इस स्थिति में असन्तोष के कारण उसे मानसिक तनाव भी होने लगा हैं। इस असन्तोष का मुख्य कारण आज की समस्याओं का सही समाधान न होना है। आज इस रोग से देश का प्रत्येक विश्वविद्यालय पीड़ित है। आज जनमानस भड़ास आपको रूबरू करा रहा है कुछ ऐसे कारणों से जिनसे असन्तोष के कारण युवा-शक्ति का उपयोग राष्ट्र हित में नहीं हो रहा है। युवा पीढ़ी में असन्तोष के कारण हैं-
एक सामान्य युवा पुरुष व्यक्तिवादी, कल्पनाशील होता हैं। वह केवल मार्गदर्शन चाहता है, जिससे उसको उत्साह एवं जोश नियंत्रित हो सके। युवाओं को अपना रोष अभिव्यक्त करना सीखना चाहिये। यदि एक व्यक्ति रोष को दबाता है तो उसे एक निकास खोजना पड़ता है, जिससे उसके मन के गुब्बार को निकालने का अवसर मिल सके। आज जनमानस भड़ासअपने व्यूवर्स से अपील कर रहा है कि अपने युवाओं के भावात्मक तनाव को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से मुक्त करने के लिए प्रोत्साहित करे, लेकिन यह भी सच है कि युवा समस्याओं का समाधान युवाओं को साथ लिए बिना नहीं हो सकता हैं। इसलिए अभिभावकों प्राध्यापकों एवं प्रशासकों को युवाओं का सहयोग प्राप्त करना पड़ेगा। समाज के विभिन्न वर्गों के युवाओं की समस्याओं को समझने एवं उन्हें तर्कसंगत दिशा निर्देश देने में सहयोग करना चाहिए। अब समय आ गया है कि इस विशाल युवाशक्ति को सामाजिक अन्याय को समाप्त करने तथा विकास एवं राष्ट्रीय सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लगाया जाये, दमन एवं टकराव के वातावरण के स्थान पर आशा विश्वास एवं आस्था के वातावरण की आवश्यकता को समझना चाहिए और युवाओं को संगठित करने को पहल करनी चाहिये।
युवा सकारात्मक कार्यो एक-दुसरे का साथ देने की पहल करें|
भडास अभी बाकी है...