आज प्रदूषण दुनिया के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। धुआं या हवा में फैली धूल भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है और यह मनुष्य के लिए बहुत बुरा है क्योंकि यह सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है। सीवेज एवं अन्य हानिकारक अवयवों का पानी में मिलना भी प्रदूषण का एक प्रमुख प्रकार है जो लोगों को अस्वस्थ बना देता है क्योंकि इसमें बिमारी फैलाने वाले रोगाणु एवं वायरस मिल जाते हैं। अचानक तेज गति से हुए औद्योगिकीकरण के परिणामस्वरूप पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ा है और भूमि, वायु एवं जल के संसाधनों के विषाक्त पदार्थों तथा अन्य प्रदूषकों द्वारा दूषित होने की कई घटनाएं हुई हैं। इससे मनुष्यों को गंभीर स्वास्थ्य से संबंधित जोखिमों के साथ ही परिस्थिति की प्रणालियों को भी खतरा पैदा हो गया है। प्रदूषण को हम जीवमंडल के किसी भी घटक में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आए ऐसे बदलाव के रूप देख सकते हैं जिसकी वजह से जीव-जंतुओं एवं मऩुष्यों को नुकसान पहुंचता है और उससे औद्योगिक प्रगति, सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा या वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस सब के बीच सबसे बड़ी विडंबना यह है भले ही हमें पता चल जाता है कि पृथ्वी प्रदूषित हो रही है फिर भी हम अपनी ही गतिविधियों पर अंकुश न लगाते हुए जान-बूझ कर वहीं गतिविधियां करते हैं, जिनसे प्रदूषण फैलता है और इस प्रकार हम खुद ही अपने लिए कब्र खोदते हैं। प्रदुषण के अंतर्गत आने वालें कारको में जल,वायु,ध्वनि,उष्मीय और रेडियो तरंगों की अधिकता एवं दुस्कारक, यही नहीं विधुत की अनावश्यक बर्बादी भी आती है,आज जनमानस भड़ास निवेदन करता है कि हमारे द्वारा प्रदूषण को अगर समाप्त नहीं किया जा सकता है, तो कम से कम नियंत्रित तो किया ही जा सकता है। कुछ साधारण उपाय जैसे कि पर्यावरण में हरियाली को बढ़ावा देना, कचरे का उचित निष्पादन आदिद्वारा पर्यावरण की व्यवस्था को संतुलित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास किया जा सकता है।
ये उपाय है-
आज प्रदूषण हमारे पारिस्थितिकी तंत्र एवं पर्यावरण को असंतुलित कर रहा है। उपरोक्त छोटे-छोटे उपायों के माध्यम से हमें अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण को रोकना चाहिये। प्रदूषण से पर्यावरण की रक्षा स्वस्थ जीवन जीने की कुंजी है। लाखों लोग हर साल प्रदूषण की वजह से उत्पन्न विभिन्न रोगों के कारण जीवन खो देते हैं।पिछले कुछ वर्षों में मानव और प्राकृतिक कारणों से प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की वजह से धरती के पारिस्थितिकी तंत्र को भारी क्षति पहुंची है। आज हमारा ही नहीं जीव-जंतुओं का जीवन भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहे है, लेकिन हमारे द्वारा आकस्मिक एवं जान-बूझ कर की जाने वाली गतिविधियों को आसानी से रोका जा सकता है और प्रदूषण की उत्पत्ति को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
वृक्षारोपण को मिलकर दें बढ़ावा
आज जनमानस भड़ास अपने व्यूवर्स से अपील कर रहा है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हम सभी की कुछ न कुछ जिम्मेदारी है जैसे- कचरा निर्धारित जगह पर ही फेंकना, वृक्षारोपण, निजी वाहन इस्तेमाल करने के स्थान पर जितना हो सकें, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिये। हमें संसाधनों के अत्यधिक खपत से बचना होगा एवं खपत के बाद अपशिष्ट संसाधनों को नदी और सीवर लाइन में डालने की प्रवृत्ति पर प्रतिबन्ध लगाना होगा तभी हम प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है। अपने वाहनों को ट्रैफिक सिग्नल पर बंद रखे जिससे अनावश्यक धुआं न फैलें, वाहनों के हॉर्न को जितना हो सके कम से कम इस्तेमाल करें, मध्यम ध्वनि का प्रयोग करें। प्रदूषण को तब तक कम या नियंत्रित नही किया जा सकता है जब तक हम सभी को हमारी धरती मां के प्रति अपनी जिम्मेदारी की एहसास नहीं होगा।
भड़ास अभी बाकी है...